अमिट लकीर
छुपी थी बरसों से
जो ख्वाबों और खयालों मे
खूबसूरत सी वो तस्वीर
तेरी थी ।
बरसती थी प्यार की
सदा बेशुमार बौछारें जहां
आंगन की वो दहलीज
तेरी थी ।
बदल दी थी जिसने
जिन्दगी की दिशायें हमारी भी
लाजवाब वो तकदीर
तेरी थी ।
जन्म से खिंची थी
जो मेरे दोनो हाथों मे
उनमे एक अमिट वो लकीर
तेरी थी ।।
राज विग 30.07.2021