अमलतास
अमलतास
वो देखो बंजर जमीन पर भी
कैसी शान से खड़ा है
ओढ़े पीले रंग की चादर
फूलों की लडियो से ढका है
भीषण तपती गरमी में भी
अपनी आभा नही खोई है
काश ! हम भी अमलतास बन पाते
फीकी पडी जिंदगी में
कुछ रंग प्यार के भर पाते
डाॅ0 ममता सिंह
अमलतास
वो देखो बंजर जमीन पर भी
कैसी शान से खड़ा है
ओढ़े पीले रंग की चादर
फूलों की लडियो से ढका है
भीषण तपती गरमी में भी
अपनी आभा नही खोई है
काश ! हम भी अमलतास बन पाते
फीकी पडी जिंदगी में
कुछ रंग प्यार के भर पाते
डाॅ0 ममता सिंह