अमर
वह हंसते रहे
हम रोते रहे
सितम पर सितम सहते रहे
कुछ लिखते रहे
कुछ कहते रहे
उम्र के बहाव में
वह खाक में मिलते गये
हम सोना बन निखरते गये
एक सूरज सा चमकते गये
आसमान के शिखर को
छूते गये
कद अपना तो था
सच में कभी बहुत छोटा पर
दुनिया को अलविदा
कहने से पहले
अमरत्व का प्याला पीकर
अमर होते चले गये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001