अमर सपूतों की हुंकार
मात्रभूमि हित बलिवेदी शीश चढ़ाने वालों को
लहू की होली खेल गए ,अमर जवानों को
अमरत्व पा जो निज धरा में विलीन हो गए
करते हैं नमन सच्चे वतन रखवालो को
माँ की सूनी गोद कर समा गए धरा आँचल में
वीरता का बीज बो गए धरातल में
रोया आसमां धरती रही पुकारती
माँ के वीर खून से तिलक कर गोलियों की आरती
कारगिल संसद उरी हमले का शान्त हूआ न रोष
रिपु ने वार कर पुनः बढ़ा लिया आक्रोश
अबकी बार माँ भारती का आदेश होगा विशेष
विषधर भुजंग का शेष रहे ना कोई अवशेष
पाक सम्भल बंद कर कुर्र कृत्य सारा
रोक नहीं पायेगा जो हिन्द का शेर दहाड़ा
जो हमने फिर से अपनी बन्दूक उठाई है
आज उसी भारत माँ ने आवाज लगाई है