अमर शहीद भगत सिंह का बलिदान दिवस
किया अपना सर्वस्व न्यौछावर
मातृभूमि से उनको प्यार था
घर परिवार प्रियजन छोड़े
अमर भगत सिंह सरदार था
23 वर्ष की उम्र में उन्होंने
आजादी को घर छोड़ा था
पहन बसंती चोला निकले
कफ़न सिरों पर बांधा था
आजाद वटुकेश्वर राजगुरु
क्रांतिकारियों का जोड़ा था
क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को
बहुत बड़ा संदेश दिया
अंग्रेजों अब भारत छोड़ो
उन्होंने क्रांति को जन्म दिया
किया काकोरी कांड उन्होंने
जन-जन में फौलाद भरी
आजादी की मांग उठाने
संसद में बम से आवाज करी
23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने
लाहौर में फांसी दे दी थी
हंसते हंसते मातृभूमि को
जान भी अपनी दे दी थी
आजादी के अमर शहीद ने
देश में क्रांति ला दी थी
अमर शहीदों के बलिदानों के
किस्से से बड़े अनूठे हैं
नाम अनाम कितने बलिदानी
हंसते-हंसते फंदे पर झूले हैं
अमर शहीदों के चरणों में
कोटि कोटि प्रणाम है
अमर रहेगा नाम तुम्हारा
जब तक सूरज चांद हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी