Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2021 · 2 min read

अमर बलिदानी

(पुलवामा के शहीदों को नमन, भावपूर्ण श्रद्धांजलि ??)

वीर शहीदो ! सारा जन-गण, करता है गुणगान तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी,हाथ जोड़कर नमन हमारा !

मातृभूमि हित जब वीरों का, पावन जीवन पुष्प चढ़ा है,
बलिदानों की उच्च शिलाओं पर अपना यह राष्ट्र खड़ा है !
बूँद-बूँद शोणित की जिसने, जन्मभूमि को अर्पित कर दी,
जिनके तन पर अंतिम क्षण में, राष्ट्र पताके का कपड़ा है !
याद करेगी भारत माता सदा अमर बलिदान तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी, हाथ जोड़कर नमन हमारा !१!

कंपित-कातर दृष्टि, पिता ने, अपना दिव्य चिराग दे दिया,
दूध भरी छाती अर्पित कर माँ ने उर का भाग दे दिया !
उन्नत भारत का मस्तक हो, लेकर यही ह्रदय में ज्वाला,
तुमने स्वयं समर्पित होकर, वसुधा को अनुराग दे दिया !
निज जीवन का दीप जलाकर, किया राष्ट्र में चिर उजियारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !२!

पत्नी ने सिन्दूर, चूड़ियां, बिंदी, सब श्रृंगार दे दिया,
और बहन ने राखी देकर, सावन का सब प्यार दे दिया !
भांति-भांति के स्वप्न संजोये, रोज तुम्हारी बाट निहारे-
नन्हे – मुन्ने बच्चों ने तो सारा ही संसार दे दिया !
खड़ा सहोदर मूक, अश्रु से, करता बचपन याद तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !३!

मगर वेदना एक हृदय में, सांप यहाँ पर भी पलते हैं,
उसी वृक्ष की जड़ को काटे, जिसमें स्वयं फूल-फलते हैं !
छोटे छोटे स्वार्थ साधने, बलिदानों का करे निरादर,
वीर चिता पर आग सेकते, राष्ट्रदेव को ही छलते हैं ।
किन्तु नवल पुरुषार्थ प्राप्त कर, खिला रहेगा चमन तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !४!

कटवाकर नाखूनों को जो, बलिदानी खुद को बतलाते,
जो दुश्मन से प्यार जताकर, पानी में भी आग लगाते !
चौराहे पर फांसी दे दो, ऐसे द्रोही जयचंदों को,
माँ की गोदी में रहकर जो उस आँचल में दाग लगाते !
उनसे पूछो जिनके आँगन भरी दोपहर में अँधियारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !५!

– नवीन जोशी ‘नवल’

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 334 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ नवीन जोशी 'नवल'
View all
You may also like:
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
ग़ज़ल _ रोज़ तन्हा सफ़र ही करती है ,
Neelofar Khan
3941.💐 *पूर्णिका* 💐
3941.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
।।
।।
*प्रणय*
मेरे दो अनमोल रत्न
मेरे दो अनमोल रत्न
Ranjeet kumar patre
पहला कदम
पहला कदम
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
ब्राह्मण
ब्राह्मण
Sanjay ' शून्य'
संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ता थैया थैया थैया थैया,
ता थैया थैया थैया थैया,
Satish Srijan
कबूतर
कबूतर
Vedha Singh
कोई तंकीद
कोई तंकीद
Dr fauzia Naseem shad
पछतावा
पछतावा
Dipak Kumar "Girja"
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14
Mahendra Narayan
कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी
Mangilal 713
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
Sakshi Singh
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
नयी नवेली
नयी नवेली
Ritu Asooja
कैसे देखनी है...?!
कैसे देखनी है...?!
Srishty Bansal
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
जिस देश में लोग संत बनकर बलात्कार कर सकते है
शेखर सिंह
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
शहर में आग लगी है उन्हें मालूम ही नहीं
VINOD CHAUHAN
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
Mamta Rani
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
Nilesh Premyogi
തിരക്ക്
തിരക്ക്
Heera S
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हौसलों कि उड़ान
हौसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
भवप्रीता भवानी अरज सुनियौ...
निरुपमा
Loading...