अमर बलिदानी
(पुलवामा के शहीदों को नमन, भावपूर्ण श्रद्धांजलि ??)
वीर शहीदो ! सारा जन-गण, करता है गुणगान तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी,हाथ जोड़कर नमन हमारा !
मातृभूमि हित जब वीरों का, पावन जीवन पुष्प चढ़ा है,
बलिदानों की उच्च शिलाओं पर अपना यह राष्ट्र खड़ा है !
बूँद-बूँद शोणित की जिसने, जन्मभूमि को अर्पित कर दी,
जिनके तन पर अंतिम क्षण में, राष्ट्र पताके का कपड़ा है !
याद करेगी भारत माता सदा अमर बलिदान तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी, हाथ जोड़कर नमन हमारा !१!
कंपित-कातर दृष्टि, पिता ने, अपना दिव्य चिराग दे दिया,
दूध भरी छाती अर्पित कर माँ ने उर का भाग दे दिया !
उन्नत भारत का मस्तक हो, लेकर यही ह्रदय में ज्वाला,
तुमने स्वयं समर्पित होकर, वसुधा को अनुराग दे दिया !
निज जीवन का दीप जलाकर, किया राष्ट्र में चिर उजियारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !२!
पत्नी ने सिन्दूर, चूड़ियां, बिंदी, सब श्रृंगार दे दिया,
और बहन ने राखी देकर, सावन का सब प्यार दे दिया !
भांति-भांति के स्वप्न संजोये, रोज तुम्हारी बाट निहारे-
नन्हे – मुन्ने बच्चों ने तो सारा ही संसार दे दिया !
खड़ा सहोदर मूक, अश्रु से, करता बचपन याद तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !३!
मगर वेदना एक हृदय में, सांप यहाँ पर भी पलते हैं,
उसी वृक्ष की जड़ को काटे, जिसमें स्वयं फूल-फलते हैं !
छोटे छोटे स्वार्थ साधने, बलिदानों का करे निरादर,
वीर चिता पर आग सेकते, राष्ट्रदेव को ही छलते हैं ।
किन्तु नवल पुरुषार्थ प्राप्त कर, खिला रहेगा चमन तुम्हारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !४!
कटवाकर नाखूनों को जो, बलिदानी खुद को बतलाते,
जो दुश्मन से प्यार जताकर, पानी में भी आग लगाते !
चौराहे पर फांसी दे दो, ऐसे द्रोही जयचंदों को,
माँ की गोदी में रहकर जो उस आँचल में दाग लगाते !
उनसे पूछो जिनके आँगन भरी दोपहर में अँधियारा,
लेकर जाओ हे बलिदानी हाथ जोड़कर नमन हमारा !५!
– नवीन जोशी ‘नवल’