अमर्ष (क्रोध)
#विषय— #अमर्ष का समानार्थी #क्रोध
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नवीन एक शोध कर।
शत्रु पे तू क्रोध कर।
रक्त में रहे उबाल।
शत्रु से करो सवाल।
कुरीति का विरोध कर।
शत्रु पे तू क्रोध कर।
द्वेष से तू लड़ सदा।
सत्य पे ही अड़ सदा।
असत्य का विरोध कर।
शत्रु पे तू क्रोध कर।
दमन करो दया नहीं।
अरि पे अब मया नहीं।
अमित्रता का बोध कर।
शत्रु पे तू क्रोध कर।
( पूर्णत: स्वरचित व स्वप्रमाणित )
रचनाकार का नाम— 【पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’】
शहर का नाम— मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण,
बिहार