अमन चाहो विरोध करों!
अमन चाहो विरोध करो (सार छंद)
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नमन करो उनकी कुर्बानी,
जिसने जान गवाई।
आरक्षण की बलि – बेदी पर,
स्वयं की बलि चढाई।।
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व्यर्थ न जाने देना यारों,
आज उनकी कुर्बानी।
सोकर वक्त न जाया करना,
ना करना नादानी।।
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स्वार्थ तनिक भी था न उनका,
फिर भी जान गवाई।
मान दिलाने मेधावी को,
आत्मदाह अपनाई।।
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समय जो रहते सम्हले तो,
मान मिलेगा उनको।
मेधावी सम्मानित होंगे,
आत्मशान्ति जन- जन को।।
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चलो उठो है वक्त अभी वह,
उनको दें श्रद्धांजलि।
आरक्षण का सर्वनाश कर,
दें उनको पुष्पांजलि।।
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नहीं उठे जो आज अभी तो,
वक्त निकल जायेगा।
हाथों में जस बर्फ पिघलता,
हर्ष पिघल जायेगा।।
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“सचिन” कहे अब तो उठ जाओ,
उनको शीश झुकाये।
व्यर्थ ना जाने दें कुर्बानी,
उनका कर्ज चुकाये।।
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सत्य कहें तो उन्हें हमारा,
सत्य नमन ही होगा।
आरक्षण जो मिटा राष्ट्र से,
चहुओर अमन होगा।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”