अमन की तलाश में
अमन की तलाश में चैन भी खो बैठे हैं
मज़हब के नाम पर इंसानियत से हाथ धो बैठे है।
रोज़ खूँ की होली खेलते अल्लाह का फरमान बताते है
खुद खुदा के बन्धे बन कर कितनों की बलि चढ़ाते हैं
मासूमों की मौत कर वो क्या दिखाना चाहते है
बेकसूरों की बलि चढ़ा वो क्या स्वर्ग पाना चाहते है।
ऐसा कौन सा फरमान अल्लाह ने तुमको भेजा है
इंसानों की बलि चढ़ाओ ये कैसा तुम्हारा पेशा हैं।
दूसरों को मार कर तुम्हे कौन सी बात मनवानी हैं
क्यों अपने चंद स्वार्थ के लिए मासूमो की बलि चढ़ानी है।