अभ्यास
अभ्यास
की निरंतरता
कला कौशल
की समृद्धि के
लिए जरूरी
होती है
इसके अभाव
में कला
अपनी चमक
स्वतः
खोती है
कला साधक
अभ्यास
का आदी होता है
तभी संगीत के
स्वर सिंधु
में स्वयं को
डुबोता है
और रचता है एक
सुंदर संसार
अभ्यास की महिमा
है अपार