अभ्यास योग
अभ्यास हेतु करना पड़ता है हमें योग
ये तो नहीं है महज़ एक संयोग।
मन को साधने का,हो पहले अभ्यास
ये है हमारे लिए बहुत ही खास।
आत्म अनुशासन हैं,बहुत ही जरुरी
इसके आड़े आए न कोई भी मजबूरी।
स्वयं में अनुशासन का,क्रमिक अभ्यास
ये अभ्यास होने नहीं देगा कभी निराश।
धीरे धीरे शक्तिशाली होता अभ्यास
करता नहीं फिर वह,मन को निराश।
बुरी आदत डालना होता आसान
पर जीना उसके संग नहीं है आसान।
अच्छी आदत डालना होता मुश्किल
पर उसके संग जीना, नहीं मुश्किल।
आत्म नियंत्रण हेतु , करें स्वाध्याय
तब ही शुरू होगा,अच्छा अध्याय।
अभ्यास धीरे बन जाता,स्वभाव का अंग
सिखा देता श्रेष्ठ हमें,जीने का ढंग।
दृढ़ निश्चय बनाता,अच्छा व्यवहार
जीत मिले इससे हमको,दूर जाती हार।
मन को नियंत्रण में कैसे लाएं
इस हेतु हम अभ्यास योग अपनाएं।
मनमानी हो न पाए,इसका रखे ध्यान
सूझ बूझ की खड्ग रखें,सदा अपनी म्यान।
अभ्यास से ही बनेगा,एक दिन ये योग
जीतेंगे मन को आप, ये ही है अभ्यास योग।
रामनारायण कौरव