अभी तो आये थे तुम
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।
शमा तो रोशन हुयी थी अभी,
जलाये थे तुमने जो उम्मीदों के दिये।
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।
बहुत गहरा है तेरा रिश्ता,
इस शहर की आबो हवा से।
मिलेगा दर्द दूर रह कर के,
जो मिटेगा ना किसी दवा से।
जा पाओगे दूर तुम कैसे,
दिल में यंहा की यादें लिये।
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।
वक़्त बिताया थोड़ा ही सही तुमने,
पर वो लम्हे बहुत यादगार थे।
तुम्हे अहसास हो ना हो लेकिन,
सब यँहा तुम्हारे दोस्त यार थे।
वंहा अजनबियों के बीच में फिर,
कैसे रह पाओगे गम के आंसू पिये।
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।
जाना था तुम्हे कुछ और ,
तुम्हारे साथ कुछ लम्हे बिताकर ।
लिखा था गीत जो तुम पर,
सुनाया था तुम्हे गुनगुनाकर।
लिख पाउँगा अब कैसे तुम पर,
चली जाती हो मेरी कविताओं को लिये,
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।
जब भी याद आये इस जगह की,
तुम आ जाना इस शहर में।
मिलेगा प्यार तुम्हे अपनों का,
और मिलेगी जगह इस घर में।
भूल जाओगे तुम दर्द अपने,
याद रखोगे खुश लम्हे हरपल लिये
अभी तो आये थे तुम बहार लेकर,
क्यों इस तरह से वापस चल दिये।