अभी तक बाकी है
जब जब चीख़ें गूँजी है,
तब मौन अस्मिता जागी है।
चारदीवारी के भीतर ,
आग अभी तक बाकी है।
कंही देवी है,कंही रानी है,
नारी के नारी होने की ,
पहचान अभी तक बाकी है।
वो जो चाहे कर सकती है,
भाषण में नेता कहते है,
बलात्कारियों की फाँसी का,
न्याय आज भी बाकी है।
ये कैसी आजादी दी है,
जिसमें हिंसा ही हिंसा है।
नारी की अग्निपरीक्षा का,
हिसाब अभी तक बाकी है।।