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1 May 2024 · 1 min read

याद रक्खा नहीं भुलाया है

ज़िंदगी ने कहाँ सताया है।
हमको क़िस्मत ने आज़माया है।

याद रक्खा नहीं भुलाया है।
दिल मेरा किस क़दर दुखाया है।

लौट आओगे एक दिन तुम भी,
दीप उम्मीद का जलाया है।

बेबसी इस क़दर रही दिल की,
नाम लिख कर तेरा मिटाया है।

-डॉ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
3 Likes · 142 Views
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