अभी कुछ बाकी है
जिंदगी में न जाने कितने मुकाम हासिल हुए
फिर भी लगता है कि कहीं कुछ बाकी है
सूरज तो निकल चुका है तय समय पर
मन का अंधकार मिटे ऐसा सवेरा होना अभी बाकी है
उठ तो रोज ही जाते हैं इस आपाधापी की जिंदगी में
आंखें खुले तो मन की ,इसलिए जागना अभी बाकी है
फोन नोटिफिकेशन में ध्यान रहता है दिन भर
खुले आकाश के नीचे फुर्सत से चहचहाट सुनना अभी बाकी है
सबको पता है कि बस चल रही हैं कट रही है जिंदगी
फिर हम दौड़कर क्यों पीछे छोड़े जा रहे हैं उसे
मुस्कुराहट के जो छोटे-छोटे पल मिले
बड़ी खुशियों की आशा में उन्हें अनदेखा किए जा रहे हैं
सभी को देख कर मुस्कुरा देते हैं बस खुद को देख कर मुस्कुराना अभी बाकी है
क्या गजब का हुनर दिया है मालिक ने सब में बुराइयां देखने का
आंखों को देखकर सच्चाई पढ़ सके यह कला सीखना अभी बाकी है
बहुत डूब लिए इच्छाओं के समंदर में
सुकून के लिए बस बाहर निकलना अभी बाकी है
जन्म तो ले चुके बरसों पहले इंसान के रूप में
आत्मा से हो जाऊं मैं भी इंसान यह जतन अभी बाकी है