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5 Jan 2018 · 1 min read

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति को किसी की
कौन दबा पाया है।
यह वो ज्वालामुखी है
जिससे विपक्ष भी थर्राया है।

अंतस के उद्गारों को
कवि साधता है पल-प्रतिपल
अपने शब्दों की ताकत से
उसने अंबर तक को झुकाया है।

सत्ता के गलियारों से
संसद की चाैड़ी पगडंडियों तक
अभिव्यक्ति का ताना-बाना
कलमकार का ह्रदय बुन पाया है।

शोषित, दमित, पददलितों की
वाणी को मुखर करती अभिव्यक्ति
भानु की किरणों सी प्रस्फुटित
जिसने पथ आलोकित करवाया है।

मौन ह्रदय की बन सारथी
रण-साहित्य पर करे चढाई
अचेतन जग को कर साक्षी ‘विनोद’
चैतन्य का कर्म कमाया है।

विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’

Language: Hindi
568 Views
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