अभिमान
अभिमान में भी मान हमारा लिखा हैं।
न शब्द हम समझे बस मन भाव हैं।
सच तो तेरा अभिमान ही सम्मान है।
सदा हम सभी अपने जीवन में समझते हैं।
सच ज़िंदगी में सभी को अभिमान रहता हैं।
तेरा मेरा रिश्ता भी हमको बहुत कुछ कहता हैं।
अभिमान के संग साथ हम सभी जीवन जीते हैं।
आज नहीं तो कल हम सभी को सहयोग होता हैं।
बस सोच समझ ही जीवन का अभिमान रहता हैं।
छल फरेब और स्वार्थ भावना सबको पता होती हैं।
आओ हम सभी अभिमान को भूल अपना कहते हैं।
हम सब मिलकर एक निस्वार्थ भाव संग साथ रहते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र