“अभिनय” मानवता का
क्यों आदमी अब देखो ना हैवान हो गए?
जन्में तो थे इंसान पर अब शैतान हो गए।
बस निज हितों ख़ातिर हर एक काम करतें हैं,
दूजों से सहानुभूति का न बिल्कुल भाव रखतें हैं।
अपनें ही हितैषियों का न कोई ख़्याल रखतें हैं,
केवल अपनें ही मतलबपरस्ती से अति प्रेम करतें हैं।
मानवता का श्वेत चोला ओढ़कर “ह्रदय” दिन-रात फिरतें हैं,
मानो अवतरित हुए पुनः कोई नये-नवेले ईश्वर जान पड़तें हैं।
क्यों आदमी अब देखो ना हैवान हो गए?
जन्में तो थे इंसान पर अब शैतान हो गए।
-Rekha $harma “मंजुलाहृदय”