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19 Aug 2024 · 1 min read

अभिनन्दन

गंगाक दूनू ओर ,
दोसर नदी आ पोखर
भरि गेल ,गर्जन स्वर
चाहे ओ पहाड़,मैदान हो,
घाटी हो वा खाई।
वन मे बानरक चहक
करूण विसंगत चहक
सुनबा मे आबए लागल ।
कतहु सिंहक गर्जन
कतहु झरनी गायन।
मातल संग पवन
मेहँदी ऊखेड़ रहल
चिड़ै-चुनमुन साधक
जुटान अन्नधन के
प्रकृति गोद से
अभिनन्दन संग
नववर्ष मे

Language: Maithili
38 Views
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