अभिनन्दन
अभिनन्दन
बनी दुल्हन मेरी बेटी, प्रभु की मेहरबानी है।
किशन राधा सी ये जोड़ी, ये पावन है सुहानी है।।
मिलन अम्बर धरा का है, ख़ुशी से झूमती दुनिया।
सुलक्षण है मेरी बेटी,ये वर भी ख़ानदानी है।।
स्वागताभिनन्दन
सजन समधी जी आये हैं, बराती साथ लाये हैं।
बड़े सौभाग्य हैं मेरे, मिली ये मेजबानी है।।
क़दम ये पड़ गए दर पे, जो तीरथ घर बना मेरा।
ये छोटा सा नगर मेरा, बना अब राजधानी है।।
शिक्षा-संस्कार
ससुर उर सास की सेवा, करो दिन रात तुम बेटी।
बहिन भाई ननद ननदेऊ देवर देवरानी है।।
शुभाशीष
भरी हो माँग तारों से, ये दमके चाँद सा चेहरा।
अटल सौभाग्य हो तेरा, शतायु जिंदगानी हो।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’