अभिनन्दन
काट कर ले जाते थे, सरहिन्द से जो सर कभी,
उस ज़मी से वीर जिंदा, हिन्द का अब आ रहा है,
वक्त बदला देश बदला, खोल आंखे देख पाकी,
कैसे नामुमकिन को, मुमकीन में बदला जा रहा है!
??जय हिंद??
@©® पाण्डेय चिदानंद “चिद्रूप”
काट कर ले जाते थे, सरहिन्द से जो सर कभी,
उस ज़मी से वीर जिंदा, हिन्द का अब आ रहा है,
वक्त बदला देश बदला, खोल आंखे देख पाकी,
कैसे नामुमकिन को, मुमकीन में बदला जा रहा है!
??जय हिंद??
@©® पाण्डेय चिदानंद “चिद्रूप”