अभिनन्दन
अभिनन्दन
आदरता का पल्लव प्रेषित चरणों में
नतमस्तक सह नवकिसलय।
पाद-अर्घ्य समर्पित अक्षि के झरनों से
दीप्तित,स्नेहस्मित सह ज्वलित हृदय।
वन्दन-वादन के संगीत
मन-वीणा के तारों से झँकृत।
शब्द ही आसन,शब्द सिंहासन
शब्दों से ही मुकुट अलंकृत।
ढ़ेर नहीं, मन सेर नहीं
अकिंचन हम,कनक कुबेर नहीं।
रत्न,रजत,सुवर्ण कहाँ से लाऊँ
शब्दों से ही तेरा अभिनन्दन।
हे, दीन हीन के दिव्य देश में
नित नवल-धवल पद-पुष्प वन्दन।
-©नवल किशोर सिंह