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12 Nov 2024 · 1 min read

*अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*

अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)
________________________
अभिनंदन सौ बार है, तुलसी तुम्हें प्रणाम
तुम ही श्यामा-श्याम हो, तुम ही सीता-राम
तुम ही सीता-राम, देवता तुम में पाए
होता व्यक्ति निरोग, तुम्हें घर में जो लाए
कहते रवि कविराय, शुद्ध करतीं तुम तन-मन
औषधियों की खान, तुम्हारा शत अभिनंदन

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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