Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2021 · 2 min read

“ अभिनंदन ,आभार और प्रणाम शालीनता का परिचायक “

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
======================================

विनम्रता ,शालीनता ,माधुर्यता और शिष्टाचार के अस्त्रों से सुसज्जित मनुष्य तभी हो सकता है जब अपने व्यक्तित्व की मलिनता को परित्याग करके अभिनंदन ,आभार ,स्नेह और प्रणाम की प्रक्रियाओं को अपने जीवन में अपनाता है ! इन प्रक्रियाओं के सफल प्रयोग से मनुष्य की गरिमा बढ़ जाती है ! अपनों से बड़े को हम प्रणाम करते हैं ! यह एक सम्मान और समर्पण की प्रक्रिया हैं जो हरेक परिवार ,समाज ,संगठन और शिक्षण संस्थानों में युग -युग चली आ रही है !

इसकी शिक्षा हमें प्रथम प्रारम्भिक पाठशाला अपने घरों में ही मिलने लगती है ! बाल्यकाल में जब हमारा ज्ञान -चक्षु प्रस्फुटित हो उठता है तो हमारी शिक्षा का प्रथम अध्याय प्रारंभ हो जाता है !
“ बड़ों को पैर छूकर प्रणाम करना “
“ अपने घर के बड़ों को प्रणाम करना “
“ अपने इष्ट देवता को नमन करना “ इत्यादि ..इत्यादि !
यह प्रक्रिया सिर्फ परिवार तक ही सीमित नहीं रहती है ,अपितु यह सम्पूर्ण समाज की रीति बन गई है ! विश्व के परिधियों में आने वाले जाति ,वर्ण ,समुदाय और समाज इन प्रक्रियाओं से कभी अछूते ना रहे ! हम लाख ऊँच्च पदों पर आसीन क्यों ना हो जाएं पर हम अपने परिवार और अपने गाँव के श्रेष्ट लोगों को प्रणाम करना नहीं भूलते !

हमें सलूट करने का प्रशिक्षण एन 0 सी 0 सी में दिया जाता है ! और बृहद रूप में इसे आर्मी ,नैवी और एयर फोर्स में हम देख सकते हैं ! सलूट अपने से ऊँच्च अधिकारी को हमेशा दिया जाता है ! इसकी अवहेलना दंडनीय अपराध है ! अभिवादन के स्वर यहाँ भी गूँजा करते हैं !

गुरुओं को प्रणाम करने की प्रथा सदियों से चली आ रही थी पर अब कुछ बदला- बदला नजर आने लगा है ! अशिष्टता का रोग समाज में फैलता जा रहा है ! परिवार ,समाज और शिक्षण संस्थान में इन पद्धतियों का अधपतन हो गया है ! परंतु आर्मी ,नैवी और एयर फोर्स की परंपरा में अभिवादन का महत्व ज्यों का त्यों है ! और एक महत्वपूर्ण बात को हम कभी नहीं नजर अंदाज कर सकते हैं कि आज भी आदिवासी समाज में प्रणाम ,अभिनंदन ,आभार और स्नेह का स्थान अक्षुण्ण बना हुआ है !

सभ्यता के ऊँच्चतम शिखर पर आरूढ़ होकर हमारी शिष्टाचार की नींव ही हिलने लगी है ! प्रणाम ,अभिनंदन ,आभार और स्नेह को हम बोझ मानने लगे हैं ! बहुत कम ही लोग हैं जो इन शब्दों का प्रयोग फेसबुक के रंगमंच पर करते हैं ! प्रणाम के फोटो को चिपका देंगे ! अपने से बड़ों को अँगूठा दिखा देंगे ! सामने मिलते ही अपनी राहें बदल लेंगे ! बड़े ,बुजुर्ग को देखके अपने मोबाईल के बटनों को दबाना प्रारंभ कर देंगे ताकि यूँ आभास होने लगे कि हमने देखा ही नहीं !

अभी भी हम संभल सकते हैं ! प्रेम का संचार कर सकते हैं ! यदि हम यथोचित सम्मान ,स्नेह ,प्रणाम और अभिवादन के मंत्रों को दुहरायें तो शिष्टाचार की नींव को और सुदृढ़ कर सकते हैं !
===================

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत
26. 11. 2021.

Language: Hindi
Tag: लेख
1100 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धूर्ततापूर्ण कीजिए,
धूर्ततापूर्ण कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
डॉ. दीपक मेवाती
संत सनातनी बनना है तो
संत सनातनी बनना है तो
Satyaveer vaishnav
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
Sanjay ' शून्य'
*छंद--भुजंग प्रयात
*छंद--भुजंग प्रयात
Poonam gupta
!!! नानी जी !!!
!!! नानी जी !!!
जगदीश लववंशी
नया साल
नया साल
Arvina
चक्रवृद्धि प्यार में
चक्रवृद्धि प्यार में
Pratibha Pandey
छपास रोग की खुजलम खुजलई
छपास रोग की खुजलम खुजलई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-342💐
💐प्रेम कौतुक-342💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज का यथार्थ~
आज का यथार्थ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
फागुन की अंगड़ाई
फागुन की अंगड़ाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बादल
बादल
Shutisha Rajput
2449.पूर्णिका
2449.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
'अकेलापन'
'अकेलापन'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
हम कितने चैतन्य
हम कितने चैतन्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
Rj Anand Prajapati
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
Ravi Prakash
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
Manju Singh
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
कर्म परायण लोग कर्म भूल गए हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की
Shashi kala vyas
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
Dr. Man Mohan Krishna
करने दो इजहार मुझे भी
करने दो इजहार मुझे भी
gurudeenverma198
नारी
नारी
Dr fauzia Naseem shad
एक नया अध्याय लिखूं
एक नया अध्याय लिखूं
Dr.Pratibha Prakash
Loading...