*अभिनंदनों के गीत जिनके, मंच पर सब गा रहे (हिंदी गजल/गीतिका)
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अभिनंदनों के गीत जिनके, मंच पर सब गा रहे (हिंदी गजल/गीतिका)
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( 1 )
अभिनंदनों के गीत जिनके, मंच पर सब गा रहे
फुसफुसाकर उनके सारे, पाप सब गिनवा रहे
( 2 )
गिर चुका जो आदमी,अपनी निगाहों में ही खुद
सम्मान – पत्र महान उसको, व्यर्थ ही बतला रहे
( 3 )
यह देवता-दानव कहीं, आकाश में बसते नहीं
यह भाव मुझ में-आप में, हर रोज ही आ-जा रहे
( 4 )
बलिदान पुरखों ने किया था, देश पर मिटकर कभी
वंशज उन्हीं के हम उन्हीं का, नाम खेद मिटा रहे
( 5 )
रख कर हृदय पर हाथ को,फिर ठीक-ठीक जवाब दो
क्या बेचकर ईमान तुम भी, दूध-मेवा खा रहे ?
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451