अब समय बीबी का आया
हालातों के आगे अब संस्कार देखो बदल गया हैं
कभी माँ के चरणों में जन्नत हुआ करती थी,
पहचान हुआ करती थी माँ के चरणों में
आज बदला बदला सा शहर सारा
अब तो बीबी रखती हैं चरणों मे अपने
लेती है ख़ामोशी में हर दर्द के मजे वो
वो सिर्फ “माँ” होती है,जो कदमो से उठा मुझे
सीने से लगा लेती थी,पर समय देखो
अब तो बीबी रखती हैं चरणों मे अपने
मांगने पर भी नही मिलताहै,अब प्यार वो
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती थी वो
शब्द खत्म मेरे “माँ”का प्यार लिखते लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी सी थी पर
अब तो बीबी रखती हैं चरणों मे अपने
तुझ से ही तो जुड़ी थी मेरे दिल की धड़कन,
कहने को तो माँ सब कहते हैं कि जन्नत माँ तेरे पास
अब समय बीबी का है सब अब उसके हैं हाथ
पर मेरे लिए तो है तू भगवन थी अब बदल सा गया हूँ
अब तो बीबी रखती हैं चरणों मे अपने
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद