अब वे दूर हो गए ___ ग़ज़ल/गीतिका
न जाने कब कैसे क्यों वे मजबूर हो गए।
कहते थे दोस्त कभी हमे अब वे दूर हो गए।।
समझ नहीं पाए वक्त ने कैसे बदली चाल
नए _ नए सिस्टम आज जरूर हो गए।।
हमारी ही गलियों में खेलें कूदे थे हम साथ साथ
अभी देखते हैं उन्हें_ वे ही हमारे हुजूर हो गए।।
कितनी जल्दी बदल देती है दौलत लोगों की फितरत।
कल के गरीब आज अमीरी में मगरूर हो गए।।
लोक लाज मर्यादा की बातें किताबों में धरी रह गई।
अनेतिकता के अध्याय आजकल मशहूर हो गए।।
राजेश व्यास अनुनय