अब राम कृष्ण नही आएंगे।
चलो उठो बन कर्मयोगी तुम, निज पौरुष पर अभिमान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।
सवा रुपये, मन सवा का लड्डू, लोभ का ना कोई मान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
न तो चाकर हैं न ही प्रहरी हैं, न तेरे द्वार के ये हैं रखवाले,
तेरे कर्म पे नहीं तुझको यकीं, फिर भ्रम ये क्यों तू है पाले।
जो मार्ग दिखा दी है उस पर, ले उठा के पग प्रस्थान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
यह घड़ी परीक्षा की तेरी, फिर आसरा इनका लेता क्यों,
स्वयं संकट से तू जूझे बिना ही, है राम दुहाई देता क्यों।
कर लक्ष्य को तय स्वेक्षा से, खुद आशय का ही ध्यान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
ये कथा कहानी सतयुग की, जो मन को तेरे भरमाते हैं,
तू द्रोपदी नही जिसे चिर हरण पे, कृष्ण बचाने आते हैं।
गजराज सा तू निरीह नही, निज चेतना का सम्मान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
अर्जुन सा क्यों कुम्हलाए, क्यों अस्त्र शस्त्र को त्याग दिए,
एक अहिंसा के आँचल में, बन कायर सा क्यों भाग लिए।
याद करो श्रीमद गीता को, पुनः गाण्डीव का संधान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
इससे पहले की भूल ही जाओ, ब्रह्मास्त्र सरीखे यंत्रो को,
वेद उपनिषद और पुण्य पुराणों, में अंकित हर मंत्रों को।
अपनी मातृभूमि रक्षार्थ उन, गौरव गाथा का गुणगान करो,
अब राम कृष्ण नही आएंगे, मत इनका तुम आह्वान करो।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १२/०७/२०१९)