अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
भटक रहा था जो अब तक मैं।
अब बस ठहरना चाहता हूं।
थका नहीं हूं अभी भी मैं, कुछ अधूरा सा है।
जिसे पूरा करना चाहता हूं ।
जिस पल देखा था मैंने तुम्हे , ये दिल थम सा गया था ।
कुछ सपनों ने मेरे, तुम्हे अपने साथ बून लिया था ।
अब बस तुम्हारे साथ, जिंदगी बसर करना चाहता हूं।
मैं बस अब रुकना चाहता हूं।
ऐसा लगता है किसी ने मेरे पैरों को जकड़ लिया है ।
शायद तुम वही शक्स हो जिसने ऐसा किया है ।
लगता है अब सब कुछ बदल जाएगा ।
तुम्हारा मुझमें जब सब मिल जाएगा ।
बस मैं तुम्हे चाहता हूं ।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं।
कितनी ही मन्नतो के धागे तुमने मंदिरों , मस्जिदों में बांधे है ।
मुझे रोक ने के, कितने जतन तुमने कर डाले है ।
अब सब कुछ तुम पर वार देना चाहता हूं ।
अब मैं बस रुकना चाहता हूं ।
भटक रहा था जो अब तक मैं ।
अब बस ठहरना चाहता हूं ।