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4 Jul 2021 · 1 min read

अब मैं आदमी नहीं रहा!

शीर्षक – अब मैं आदमी नहीं रहा

विधा – कविता

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राजस्थान
मो. 9001321438

अब मैं आदमी नहीं रहा,
‘झंडू बाम’ हो गया हूँ।
हर कोई मेट सकता है,
अपने कैसे भी दर्द यहाँ
बाम को कोई दर्द नहीं होता।

मैं न तो समझौतावादी हूँ,
भाग्यवादी तो अब नहीं रहा।
मैं कवितावादी हूँ इसीलिए,
कविता की भाषा में नहीं,
सीधी बात सीधी कहता हूँ,
तभी ठुकराया जाता हूँ।

अब मैं आदमी नहीं रहा,
कविता की भाषा में कहूँ,
मैं एक आत्मा हूँ भटकती,
खोजती अपने कर्म की रेखा।
मैं व्यक्तिवादी भी नहीं रहा,

समाजवादी तो बिल्कुल नहीं,
मैं प्रेमवाद का एक आयाम हूँ
जिसे नहीं पता प्रेम क्या है।
बेकारवाद का खराब पुर्जा हूँ
जिसे कबाड़खाने का इंतजार है।

Language: Hindi
2 Likes · 213 Views
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