अब मुझे यूँ आजमाना छोड़ दे
जिंदगी मुझको सताना छोड़ दे
अब मुझे यूँ आजमाना छोड़ दे
हो गए हैं सब यहां पर मतलबी
बेवजह रिश्ते बनाना छोड़ दे
योग्यता की है नहीं कोई कदर
फूल काँटों पे खिलाना छोड़ दे
देख ले भगवान गर इंसान में
आग दहशत की जलाना छोड़ दे
हो रही चर्चा सभी अखबार में
प्यार आँखों से जताना छोड़ दे
बेसमझ हैं लोग ना समझे जुबां
बेसबब बातें बढ़ाना छोड़ दे
डूब ना जाये कभी तू दर्प में
गुण ‘अदिति’ अपने गिनाना छोड़ दे
✍लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल