क्या अब मान लें, आप हैं यह सब मुमकिन है?
जब यह नारा सामने आया,
मोदी हैं तो सब मुमकिन है,
सुनकर हमें भी भ्रम हुआ,
यह सब कैसे मुमकिन है!
लेकिन जब पुलवामा घट गया,
तो प्रतिक्रिया में बालाकोट किया गया,
फिर भी हमें नहीं लगा,
सोचा चुनाव का अवसर है,
चुनाव में जीतने के लिए,
हवा बदलने का चक्कर है!
किन्तु हमने तब भी ना भरोसा किया,
जब तुमने कहा तीन सौ प्लस,
हमने कहा बस भाई बस,
लेकिन जब परिणाम सामनेआए,
तो तीन सौ प्लस ही पाए!
अब नयी पारी की शुरुआत हुई थी,
पहले कही गई बातों पर सरकार आगे बढ़ी,
तीन सौ सत्तर को हटाया गया,
अनुच्छेद पैंतीस ए भी मिटाया गया,
तीन तलाक़ को भी बिल बनाया गया,
मुस्लिम बहनों को भी हर्जाना दिलाया गया,
तो लगा कि अब कुछ अच्छा होने वाला है,
जो कहा गया था वह अब मुमकिन होने वाला है!
दिमाग में एक साथ कई तस्वीरें उमड़ने लगी,
नयी-नयी उम्मीदें जगने लगी,
पंन्द्रह लाख का भी वादा पूरा हो जाए,
जन-धन के खातों में कुछ जमा हो जाए,
दो करोड़ रोजगार भी मिलने लगेगा,
भ्रष्टाचार भी अब घटने लगेगा,
मिनिमम गवर्नेंस और मैक्जीमम गवर्नमेंट,
अब दिखने लगेगा,
किन्तु इसमें नहीं कोई परिवर्तन आया,
पंन्द्रह लाख के बदले में, छः हजार ही पाया,
दो करोड़ रोजगार पर भी ग्रहण लग गया,
कोरोना काल में,दो करोड़ बेरोजगार हो गया,
कहा गया था कि मैं देश नहीं बिकने दूंगा,
सरकारी संस्थानों को बेचने का उपक्रम प्रारंभ कर दिया,,
कहा गया था ना खाऊंगा,ना खाने दूंगा,
चुनावी बांड के माध्यम से खाया जाने लगा,
जीरो टॉलरेंस को भी समझाया गया,
लेकिन जब कोई उंगली उठाई गई, तो उसे नकारा गया,
मिनिमम गवर्नेंस, को इस रुप में सामने लाए,
कम विधायकों के बाद भी सरकार बनाये,
मैक्जीमम गवर्नमेंट, तो अब समझ आया,
जब जोर जबरदस्ती से राज्य सभा में बिल पास कराया,
सुशासन भी तुम्हारे एजेंडे में सुमार था,
बहु-बेटियों की सुरक्षा का वायदा किया था,
बहु-बेटियों का जीना कहां मुहाल है,
जब सांसदों- विधायकों पर ही अस्मिता को लूटने पर सवाल है,
और जनाब हद तो तब हो गई है,
जब योगी जी के राज में, बेटी की अस्मत लूटी ही नहीं गयी,
अपितु असंयमित को लूटना साबित ना हो,
तो कमर तोड दो,जीभ काट दो,
हफ्ते भर तक मुकदमा कायम ना हो,
उपचार के लिए समुचित व्यवस्था ना हो,
और मर जाए अगर तो,
मध्यरात्रि में ही अंतिम संस्कार कर दो,
घर वालों की सारी मिन्नतें, खारिज कर दो,
कलेक्टर को भेज कर, आगाह कर दो,
एक डी जी के माध्यम से,बलत्कार को नकार दो,
इतना बेरहम तो नहीं हो सकते हैं आप,
आपके ही नाम का करते हैं लोग जाप,
तो इसकी जवाबदेही आपकी ही बनती है,
आपके ही नाम पर इनकी सरकारें चलती हैं,
तो फिर यह कैसे मान लें,आप हैं तो यह सब कुछ मुमकिन है,
श्रीमान आप पर जो भरोसा बना है,उसे कायम रखियेगा,
कांग्रेसियों की तरह उसे मत तोडिएगा!!