अब महान हो गए
कल विषय लज्जा के थे,वे आन-बान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
उलट-पुलट ऐसा हुआ,स्थितियां ऐसी बनीं
जितने भी गरीब थे वे सारे हो गए धनी
बेईमान जितने थे वो, बा ईमान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
अंधे लगे देखके औरों के राज खोलने
लंगडे़ लगे दौड़ने तो गूंगे लगे बोलने
सुन नहीं जो पाते थे उनके भी कान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
शिल्प जिनसे होता ना ,वो मूर्तियां गढ़ने लगे
जो नहीं पढे़ कभी अखबार वो पढ़ने लगे
ज्ञान भले न हुआ , पर ज्ञानवान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
जितने भी जुडे़ हुए थे सब विभक्त हो गए
देश का सोचा कभी न देशभक्त हो गए
बुद्धि जिनकी भ्रष्ट थी वो बुद्धिमान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
कल तलक था राज जिनका,अब फकीर हो गए
कायरता जिनका नाम था वो शूरवीर हो गए
शक्ति जिनकी क्षीण थी वो शक्तिमान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
था घृणा का पात्र जो वो आज प्यारा हो गया
तारे सभी चांद हुए , चांद तारा हो गया
पाताल भी चलके धरा से आसमान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
कल जो भारहीन थे वे आज वजनदार है
विपरीत सारे हो गए हैं कहने का ये सार है
समानताओं से पृथक हो ,असमान हो गए
थे गिरे जो कल तलक वो अब महान हो गए
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली