*अब भी भ्रष्टाचार है (गीतिका)*
अब भी भ्रष्टाचार है (गीतिका)
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(1)
दिखती चारों तरफ बाबुओं की चलती सरकार है
पहले जितना था उतना ही, अब भी भ्रष्टाचार है
(2)
दफ्तर में कागज ‘रिसीव’ करवाकर आप दिखा दें
कोई बाबू कहॉं दस्तखत करने को तैयार है
(3)
सौ-सौ बार भले दफ्तर के चक्कर कोई काटे
फाइल पास नहीं करना अधिकारी का अधिकार है
(4)
किससे करें शिकायत किसको विपदा कहो सुनाऍं
लंका में बावन गज वाला सबका ही व्यवहार है
(5)
रिश्वत रखी पुरानी वाली तो बाबू यह बोला
कब से आप नहीं आए, अब बदल चुका संसार है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451