अब न तुमसे बात होगी…
अब न तुमसे बात होगी।
अनमनी हर रात होगी।
अब न होंगे चाँद- तारे,
ना रुपहली रात होगी।
कुछ पलों की जिंदगानी,
कुछ पलों में ढेर होगी।
दो घड़ी भी ‘गर मिले तो,
दो घड़ी क्या बात होगी ?
चाँद भी रूठा हुआ -सा,
चाँदनी भी सुस्त -सी है।
कुलमुलाते -से सितारे,
क्या हसीं अब रात होगी ?
अब अकेले इन दिनों का,
गम सहारा है हमारा।
रात साए में अमा के,
बात किसको ज्ञात होगी ?
बुझ रही है दीप की लौ,
टूटती -सी श्वास भी अब,
ख्वाब में ही आ मिलो तो,
साथ ये सौगात होगी।
कीं कभी जो बात तुमसे,
आ रहीं अब याद हमको।
आज नयनों से हमारे,
आखिरी बरसात होगी।
आखिरी ये रात होगी
अब न तुमसे बात होगी….
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )