अब नहीं वो ऐसे कि , मिले उनसे हँसकर
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अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर।
करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।।
अब नहीं वो वैसे ———————–।।
देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी।
लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।।
आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर।
अब नहीं वो वैसे ———————–।।
पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना।
अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।।
होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर।
अब नहीं वो वैसे ————————-।।
बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को।
करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।।
नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर।
अब नहीं वो वैसे ————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)