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30 Sep 2021 · 2 min read

“अब नहीं लिखते रहेंगे”

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
======================
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

ना कोई इसको पढ़ता ,
ना कोई देखता इसको !
किसे आज फुर्सत है ,
समझ ले कोई सबको !!
क्यों हम खामखाह यूँ ,
ही सदा लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

परिधानों में सज कर ,
दुल्हन रूप सजाती है !
उसको भी लोगों की ,
तारीफें भा जाती है !!
है किसे फुर्सत कहाँ ,
जो कभी लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते लिखेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

सब रससे सिंचित कर ,
छवि अपना दिखलाते हैं !
दर्शक आँखें बंद किए ,
नींदों में ही डूबे रहते हैं !!
तिरष्कार की छवि को ,
कब तक सहते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

प्रणय गीत बेकार हुआ ,
कविताओं को भूल गये !
सुंदर तस्वीरों को देखके ,
मंत्रमुग्ध से पूर्ण हुये !!
फिर मधुर संगीतों से ,
बात अपनी कहते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

व्यंगों को समझाने का ,
मंत्र किसे यह आता है !
बिन समझे लोगों में ,
अर्थ अनर्थ हो जाता है !!
बिना लक्ष्य के कबतक ,
यूँही हम लड़ते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

अंधभक्त के आँखों में ,
अंधियारी ही छायी है !
राजनीति की बातों से ,
दुनियाँ ही भरमायी है !!
झूठी बातें झूठे सपने ,
कब तक गढ़ते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!

हम कुछ इंतज़ार करेंगे ,
अपने को तैयार करेंगे !
स्वयं पाठक बनकर फिर ,
लिखने की बात करेंगे !!
हम लिखेंगे लोगों को ,
भी प्रेरित करते रहेंगे !
तब अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
बस , बहुत हो गया ,
अब नहीं लिखते रहेंगे !
नहीं अपनी कलम से ,
रचना कोई गढ़ते रहेंगे !!
=================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
30.09.2021.

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 215 Views
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