“अब दो पल आराम की जिंदगी जी लूं”
शिकवे शिकायते बहुत हुई ,
घर गृहस्ती की पंचायतें बहुत हुई।
अब दो पल आराम की जिंदगी जी लूं,
मेहनत की रातें बहुत हुई।
समय निकाल अब अपने दिल की सुंनू,
कुछ धुंधले से अरमानों को पूरा करू।
बरसों से बंद मन की किताब को खो लू,
अब दो पल आराम की जिंदगी जी लूं।
अपनों की फरमाइश बहुत हुई,
छोटी बड़ी ख्वाइश बहुत हुई।
बहुत वक्त गुजर गया हंस हुए,
जिम्मेदारियों का पंजा कसे हुए।
अब कुछ पल चैन की सांस ले लू,
अब दो पल आराम की जिंदगी जी लू।
थका नहीं मैं ,ना मैं भागा हूं।
बस अपनी खातिर ,कुछ पल में जागा हूं।
दोस्तों के साथ कुछ समय बिताऊं
अपने अधूरे ख्वाबों को जिना चाहूं।
मां की गोदी मैं सो लूं,
अब दो पल आराम की जिंदगी जी लूं।