Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2023 · 4 min read

अब देर मत करो

आदमी जिस पेड़ की डाल पर बैठा है दिनोदिन उसे ही काट रहा है| लकड़ी (वैसे तो पेड़ लगा लो तो नवीनीकरण हो सकता है) एवं कोयला, पेट्रोल, डीज़ल जैसे फॉसिल फ्यूल एक न एक दिन समाप्त हो ही जाने हैं | फॉसिल फ्यूल का नवीनीकरण संभव नहीं है ये तो समाप्त होने ही हैं | फिर क्या होगा | पर्यावरण को क्षति तो हो ही रही है इनके अंधाधुंध दोहन के कारण, ये समाप्त भी हो जाने वाले हैं एक दिन | पृथ्वी का कार्बन उत्सर्जन भी भयावह स्थिति तक बढ़ चुका है | ये कहने की आवश्यकता नहीं है कि सभी इस समस्या से भलीभांति परिचित हैं पर इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता की कमी के कारण कोई उपाय करना आवश्यक नहीं समझा जाता है | इन उपायों में सबसे आसान उपाय है कि पारम्परिक श्रोतों से इतर नवीनीकृत ऊर्जा के साधन अपनाएं जाएँ और इस प्रक्रिया में अब देर करना बहुत भरी पड़ने वाला है | हमारी आने वाली पीढ़ियों को यदि एक खुशहाल पृथ्वी सौंपना है तो नवीनीकृत ऊर्जा को अपनाना ही पड़ेगा | नवीनीकृत ऊर्जा के समाप्त होने का कोई खतरा भी नहीं है | इसके साथ ही साथ स्वच्छ ऊर्जा भी है क्योंकि इनके उपयोग से ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन काम होने से कार्बन फुटप्रिंट की मात्रा में उल्लेखनीय कमी की जा सकती है | नवीनीकृत ऊर्जा के श्रोत हमारे चारों और मौजूद वो श्रोत हैं जो उपयोग की गई मात्रा से हमेशा अधिक उपस्थित रहेंगे | नवीनीकृत ऊर्जा के प्रमुख श्रोत हैं सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, बायो-मास ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, समुद्रयीय ज्वारभाटा से उत्पन्न ऊर्जा इत्यादि | अब तो उर्जा उत्पन्न करने के नये प्रयोग भी किये जा रहे हैं, जैसे कि पेरिस की मेट्रो स्टेशन पर उन्होंने एंट्री पर ऐसे विंग्स लगा दिए हैं जो यात्रियों के निकलने से उर्जा उत्पन्न करते हैं | ये पहल अभी प्रायोगिक है परन्तु सफल है, जिसे भविष्य में सभी जगह प्रयोग में लाया जा सकता है | भारत जैसे देश जहाँ विश्व की सर्वाधिक आबादी बसती हो, वहाँ पर तो ऐसे प्रयोग बहुत ही सफल सिद्ध हो सकते हैं|
इन से मिलते-जुलते सुझावों पर विचार करें तो कई ऐसे मौके हैं जहाँ पर इस प्रकार उर्जा का सृजन किया सकता है| वाहनों की गति से ऊर्जा, झूलने वाले पुलों के दोलनों से उर्जा, मनोरंजन पार्कों के झूलों से ऊर्जा भी उत्पन्न की जा सकती है| छोटे-छोटे कदम भी एक दिन बड़े सुधार ले आते हैं| बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों वाले अपार्टमेंट्स में तो ये आवश्यक कर देना चाहिये कि उनकी छतों पर सोलर प्लेट्स लगाकर ग्रिड से जोड़ दिया जाये| नए मकानों की खरीद-फ़रोख्त के समय ये आवश्यक अनुबंध हो कि पूरी छतों पर सोलर पैनल लगाये जाएँ और ग्रिड से जोड़ दिए जायें, जिसके बाद ही बिजली के कनेक्शन दिए जाएँ| पूरे दक्षिण, पश्चिम, पुर्वी और उत्तरी भारत में कहीं भी सूरज की धूप की कमी नहीं है जिसका पूरा फायदा बिजलीघर की परंपरागत श्रोतों पर निर्भरता को कम करने में किया जा सकता है | जहाँ हवा की सघनता है वहां पवन चक्कियां लगाई जा सकती हैं | इनमें से जो भी कार्य जितनी जल्दी संभव हो उसके लिए तुरंत कदम उठा लेने चाहिए | बायो मास उर्जा के प्रयोग जैसे एथेनॉल और बायो गैस प्लान्ट जहाँ भी संभव हों लग जाने चाहिए| कुल मिलकर जो करना है जल्दी करो, अब देर मत करो |

ऐ भाई ! जरा देख कर चलो
जरा संभल कर चलो
पर उससे पहले जाग जाओ |

कब तक आँखें बंद कर
काटते रहोगे वही पेड़
जिस पर बैठे हो तुम,
ऐसा तो नहीं कि
आरी चलने की आवाज
तुम्हें सुनाई नहीं देती, या
तुम्हारी डाल के दरकने
और धीमे-धीमे नीचे सरकने
की आहट भी नहीं होती |

ये घायल शाख अभी भी जीवित हैं
और पाल रहीं हैं तुम और हम जैसे
नाशुकरों को क्योंकि
उन्हें अभी भी उम्मीद है तुमसे
कि एक न एक दिन तुम्हें अक्ल आएगी
तुम जरूर जागोगे
और उस शाख को
बचाने के लिए
जरूर भागोगे |

उस शाख को तुमसे- हमसे
उम्मीद है
क्योंकि ओढ़ रखा है एक
भारी-भरकम शब्द तुमने
अपने लिए,
मानव और मानवता
हा ! प्रकृति को पता है कि
उसका सबसे बड़ा दुश्मन
कोई और नहीं है,
हे तथाकथित मानव
सिर्फ और सिर्फ तुम हो |

तुम उस शाख को नहीं काट रहे हो
तुम मानवता की साख को काट रहे हो
डुबो रहो हो गर्त में
जहाँ तुमको भी जाना पड़ेगा एक दिन
यदि नहीं सुधरे, नहीं समझे
या यूँ कह लो
कि अपनी मक्कार आँखों को
मूंदे हुए बैठे रहे
तो जाना पड़ेगा
उसी गर्त में एक दिन |

मान लो इस बात को कि
ब्रह्म की सबसे घटिया सृजित कृति हो तुम |
अवश्य पछताता होगा विधाता भी
कि क्यों किया
उसने मानव का सृजन |

ईश्वर सौ अपराध माफ़ कर देते हैं,
सुना है कहीं, तुमने भी सुना होगा
अपनी अपनी किताबों में पढ़ा भी होगा,
तो अभी भी
अपनी करनी सुधार लो
अपनी धरा को कुछ संवार लो
देखना कैसे
आज ही दिख जाएगी
कल की खुशहाल फ़सल |
लेकिन जल्दी करो,
अब देर मत करो |

(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम् ”

चित्र: साभार इन्टरनेट ए०आइ०

5 Likes · 2 Comments · 317 Views
Books from दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
View all

You may also like these posts

विषय _  इन्तजार दूरी का
विषय _ इन्तजार दूरी का
Rekha khichi
"Awakening by the Seashore"
Manisha Manjari
अर्थी चली कंगाल की
अर्थी चली कंगाल की
SATPAL CHAUHAN
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बहुत दाम हो गए
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
पाश्चात्यता की होड़
पाश्चात्यता की होड़
Mukesh Kumar Sonkar
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
Neeraj Agarwal
You can't skip chapters, that's not how life works. You have
You can't skip chapters, that's not how life works. You have
पूर्वार्थ
दोहा त्रयी. . . . . भाव
दोहा त्रयी. . . . . भाव
sushil sarna
संत हूँ मैं
संत हूँ मैं
Buddha Prakash
सुनो रे सुनो तुम यह मतदाताओं
सुनो रे सुनो तुम यह मतदाताओं
gurudeenverma198
यह रात का अंधेरा भी, हर एक  के जीवन में अलग-अलग महत्व रखता ह
यह रात का अंधेरा भी, हर एक के जीवन में अलग-अलग महत्व रखता ह
Annu Gurjar
युगों-युगों तक
युगों-युगों तक
Harminder Kaur
" फलसफा "
Dr. Kishan tandon kranti
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मेरे हाल से बेखबर
मेरे हाल से बेखबर
Vandna Thakur
कसक
कसक
Sudhir srivastava
.: विधा सयाली छंद
.: विधा सयाली छंद
पं अंजू पांडेय अश्रु
तू बदल गईलू
तू बदल गईलू
Shekhar Chandra Mitra
*📌 पिन सारे कागज़ को*
*📌 पिन सारे कागज़ को*
Santosh Shrivastava
आएंगे तो मोदी ही
आएंगे तो मोदी ही
Sanjay ' शून्य'
होली
होली
नूरफातिमा खातून नूरी
अमृत
अमृत
Rambali Mishra
हे गणपति वंदन करूं
हे गणपति वंदन करूं
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
डॉ. दीपक बवेजा
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
Rj Anand Prajapati
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
Johnny Ahmed 'क़ैस'
चेतावनी
चेतावनी
श्रीहर्ष आचार्य
"" *तथता* "" ( महात्मा बुद्ध )
सुनीलानंद महंत
Loading...