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3 Jan 2020 · 2 min read

अब तो हद हो गई

कविता

अब तो हद हो गई

एक नाम हैं अब ये आया,
झूँठ में जिसका बवबाल मचाया,|

अधिक हैं उसमें चतुराई छाई,
झूँठ झूँठ से उल्लू बन आई,|

तरह तरह के लोभ दिखाता,
आज तक उसे कोई समझ न पाता|

किस किस भेस में ये आ जाता,
जाने कितने अजब गजब ये रंग दिखाता,|

पढे़ लिखे फस गये इसके चक्कर में,
झूँठ बोलने में नहीं कोई इसके ठक्कर में,|

जब कोई इस पर बात उठाता ,
तरह तरह के मुद्दे बनाता,|

आज तक इसे कोई समझ न पाया,|
ये कुर्सी पर कैसे आया,|

किसान को इसने अमीर बताया,
उनकी मेहनत का मजा़क उडा़या,|

हमारें लिये खजाना खाली बतलाया,
कई मोटो को पैसे लेकर फूर उडा़या,|

पढे़ लिखों ने सवाल उठाया,
उनको इसने लाठी से पिटबाया,|

इसका कोई ये पता नहीं हैं,
कौनसी हैं डिग्री कर के यहाँ पर आया,|

कहता देश बदल रहा हैं,
पढे़ लिखे को पकोड़ा तलबाता,|

क्या इसी लिये हैं शिक्षा हैं पाई,|
पकोडें तलना माँ बाप सपना होई,|

विदेश में ये घूमने को जाता,|
घूमना इसका समझ नहीं आता,|

तरह तरह के ड्रैस बनवाता,
अपने आप को फक़ीर बतलाता,|

जब हैं भाषण देने आता,|
जुमलेबाजी में समय बिताता,|

कैसे देश में आर डी ऐक्स आया,
इसको कोई अभी तक समझ न पाया,|

जब किसी ने इस पर सवाल उठाया,
उसको इसने देश द्रोह ठहराया,|

खुद तो कुछ ये कर नहीं पाया,
दूसरों पर सवाल उठाया,|

काम कोई पूरा हुआ नहीं हैं,
संशोधन में हाथ बढा़या,|

जब इसके विरोध में कोई आँगे आया,|
उसको इसने जैल में डलबाया,|

अब तो हद हो गई संभल जायें,
जल्दी इसको झोंला लेकर दूर भगायें,|

जब कोई झूँठो को बाते सुनाऐ,
चाहे कोई आ कर इसका नाम बताऐ,|

एक नाम हैं अब ये आया,
झूँठ में जिसका वबाल मंचाया,|

लेखक — जयविंद सिंह

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 469 Views
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