“अब तो मैं…… डरता हूँ “(शेर)
“अब तो मैं…. डरता हूँ”
(शेर)
1.
मैं कहाँ अदावत से डरता हूँ
मैं तो बस ज़िलालत से डरता हूँ
इतना लूटा गया हैं मुझे प्यार दिखा दिखा कर
कि अब तो मैं मोहब्बत से डरता हूँ।
2.
मैं कहाँ हिमाक़त से डरता हूँ
मैं तो बस बगावत से डरता हूँ
इतना ठगा गया हैं मुझे नेकी दिखा दिखा कर
कि अब तो मैं शराफ़त से डरता हूँ।
3.
मैं कहाँ असलियत से डरता हूँ
मैं तो बस जम्बूरियत से डरता हूँ इतना लड़ाया गया हैं मुझे खुदा के नाम पर
कि अब तो मैं इबादत से डरता हूँ।
4.
मैं कहाँ ज़मानत से डरता हूँ
मैं तो बस ख़तावत से डरता हूँ
इतना उपयोग किया गया है मुझे आगे रख रख कर
कि अब तो मैं मुख़ाल्फत से डरता हूँ।
5.
मैं कहाँ हकीक़त से डरता हूँ
मैं तो बस फज़ीयत से डरता हूँ
इतना द्वंद हुआ हैं बटवारे के वक्त घर पर मेरे
कि अब तो मैं मिल्कियत से डरता हूँ।
6.
मैं कहाँ सदावत से डरता हूँ
मैं तो बस शिकायत से डरता हूँ
इतना बाट दिया हैं सियासतदारों ने हमें
कि अब तो मैं सियासत से डरता हूँ।
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “