अब तो पुराने दिन याद कर लेते है —आरके रस्तोगी
अब तो पुराने दिन याद कर लेते है |
अपनी ख्वासियो के चराग बुझा देते है ||
कभी सोलह आने स्वपन सच होते थे
अब तो एक आने भी सच नहो होते है ||
बस अब तो मन मसोस कर रह जाते है |
फिर से पुरानी यादे ताजा कर लेते है ||
पहले समय में पुडिया में पैसा जाता था |
थैले में सामान बाजार से भर कर आता था ||
अब थैलो में भर कर पैसा जाता है |
पर अब पुडियो में सामान आता है ||
पहले वैध हकीम हर जगह होते थे }}
नब्ज पकड़ कर मर्ज को बता देते थे ||
अब तो डॉक्टर पचासो टेस्ट करा देते है |
फिर भी मर्ज का नाम नहीं बता पाते है ||
पहले मन सेर छटाँक तोलने में होते थे |
एक सेर में सोलह छटाँक सही होते थे ||
अब न तो मन रहे न सेर रहे न छटांक रहे |
अब तो मेट्रिक टन किलोग्राम और ग्राम रहे ||
पहले एक रूपये में सोलह आने होते थे |
एक आने के भी भी चार पैसे हो जाते थे ||
एक पैसे की भी बारह पाईयाँ मिल जाती थी |
अब तो एक रूपये में सौ पैसे भी न मिलते है ||
समय बदल चूका है, पुराने दिन याद आते है |
बस ख्वासओ को ऐसे ही चराग बुझा देते है ||
आर के रस्तोगी