अब तो जागो!
अब तो जागो
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मेधा का सम्मान बचाने
रण करने को वीरों।
कर जोड़ के करूँ मैं वीनती,
उठो चलो रणधीरो।।
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आरक्षण है श्राप देश का,
इससे इसे उबारे।
मेधा को सम्मान दिलाकर,
फिर से राष्ट्र सवारें।।
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आरक्षण की बलि वेदी पर,
मेधा मिट ना जाये।
राष्ट्र अस्मिता है खतरे में
इसको पार लगायें।।
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आरक्षण नहीं विषवेल है,
इसको जड़ से काटो।
भेव भाव व जातीप्रथा को
समय आ गया पाटो।।
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आरक्षण नहीं है सुनामी,
यह विनाश ला देगा।
एक दिन यह तो मेधावी का,
मान हरण कर लेगा।।
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अभी समय रहते सम्हलो,
वर्ना कुछ न बचेगा।
हनुमत सा जो बन ना पाये,
सुरसा से न बचेगा।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार