अब तो जागो हिंदुओ
सम्भल देख भी ना सभलोगे तो, बोलो फिर कब सभलोगे।
कल्कि अवतार की जगह हैं संभल, बोलो फिर कब सभलोगे।।
सम्भल बोल रहा हैं खुलकर, आँख खोल लो हिंदुओं।
अब सोने से काम चल ना, कान खोल लो हिंदुओं।।
चीख रही हैं हर मस्जिद अब, खोद खुदा को झाक लो।
कब तक वार सहोगे खुद पर, हाथ खोल लो हिंदुओ।।
कायर बनकर काम चल ना, तेज बोल लो हिंदुओ।
बहुत धरा हैं धीर भी अब तक, घर से निकलो हिंदुओं।।
बटते रहे तो कटते रहोगे, हुंकार भरो अब हिंदुओं।
भाईचारा बहुत हो गया, सर चढ़कर बोलो हिंदुओं।।
रक्त हमारा बहुत पी लिया, अब शांत रहो ना हिंदुओं।
बहन बेटियां बहुत हैं मरली, अब तो बदलो हिंदुओं।।
जर जोरू और जमीन गई सब, आँख खोल लो हिंदुओं।
बहू बेटियो को ध्यान मे धरके, कमर को कसलो हिंदुओ।।
लव जिहाद से जगे अभी ना, शर्म करो तुम हिंदुओं।
थूक मिलाकर करा जिहाद, फिर भी न जागे हिंदुओं।।
पत्थर खा कर जगे ना तुम तो, लानत तुम पर अब हिंदुओ।
मल मूत्र भी पीकर जगे नहीं तुम, अब क्या करे ये हिंदुओं।।
कहां सुलाया जमीर हैं तुमने, जमीर जाग लो हिंदुओं।
कब्र खोदकर रखी तुम्हारी, तैयार खड़े ये हिंदुओ।।
सम्भल बोल रहा है अब तो, सभल जाओ अब हिंदुओं।
एक रहोगे तो ही सैफ रहोगे, और क्या बोले हिंदुओं।।
गया हाथ से गंधार तुम्हारे, कुछ भी ना सोचा हिंदुओं।
लाहौर गया और ढाका भी, बस मरते रहे तुम हिंदुओं।।
कश्मीर और केरल गए हाथ से, कहां गए तुम हिंदुओ।
कल्कि अवतार की जगह है संभल, याद करो ये हिंदुओं।।
संभल बोल रहा है तुमसे, हे लानत तुम पर हिंदुओं।
आज भरोसे मोदी और योगी, कल क्या होगा हिंदुओ।।
टुकड़ो मे हैं देश को बाटा, फिर भी मूंग दल रहे ये हिंदुओं।
स्वप्न तोड़कर निद्रा से जागो, अब बेशर्म बनो ना हिंदुओं।।
गंगा भी अपनी यमुना भी अपनी, तहजीब दिखाओ ना हिंदुओ।
ललकार करे हैं पुकार तुम्ही से, ललकार दहाड़ो हिंदुओ।।