!! अब तो कुछ सबक ले रे बन्दे !!
पानी का रंग देखा क्या
आसमान को कभी देखा क्या
इस जमीन को भी देखा है,
कभी अपने मन को भी देखा क्या ??
इंसान को सबक देने को
इतने सबूत तेरे सामने हैं
कितना विशाल है भूमि का साहस
क्या इससे कुछ सबक लिया क्या ??
मंदिर तो जाता ही है
क्या मांगता है उस पत्थर से
कर्म तो तुझ को करने होंगे
वो बैठा कुछ तेरे हाथ में देगा क्या ??
मानवता की कर ले सेवा
मत कर आ आकर कुछ दिखावा
तेरा किया तेरे साथ ही जाना है,
उस को सुधारने को तूने कुछ किया क्या ??
तन के बंधन में न बाँध
न कोई इस से वास्ता रख रे बन्दे
यह तो मिटटी हो जाना है,
अपने कर्म सुधारने को कुछ किया क्या ??
अजीत कुमार तलवार
मेरठ