अब तो कश्ती बना ही लिया जाय
कब तक रहना दुखों की दरिया में
अब तो कश्ती बना ही लिया जाय ।
बहुत सुन लिया ज़माने वालों की बातें
ज़बाब के लिए सर उठा लिया जाय ।
जो बातें दिलों में चुभती रहती है सदा
क्यों न उन बातों को भूला लिया जाय।
कितनी पीड़ा है सबके दिलों में रहमान
कुछ पल के लिए जरा मुस्कुरा लिया जाय।
झूठी मुस्कुराहट से जब दिल भर जाय
अकेले में खूब आंसू बहा लिया जाय।
जिसने हमें जीवन का तोहफा दिया,
उसके आगे सर को झुका लिया जाय।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित