अब तो आई शरण तिहारी
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अब तो आई शरण तिहारी
कृष्ण मुरारी ! हे गिरिधारी !
कब सुध लोगे बाँके बिहारी ?
सारे जतन करके हम हारी,
अब तो आई शरण तिहारी ।
हम पर कृपा करो त्रिपुरारी,
दुविधा से भरी हम संसारी।
दूर करो अविद्या हमारी
अब तो आई शरण तिहारी।
काल-चक्र की गति है जारी,
किसी के भी टारे न टारी ।
पाप की गठरी हो गई भारी
अब तो आई शरण तिहारी।
दर-दर भटक रहे सब प्राणी
जोह रहे यह राह तिहारी,
किस विधि प्रभु होंगे अवतारी
अब तो आई शरण तिहारी।
कण-कण में हो संचारी,
हृदय को जानते हमारी ।
तुम दीनदयाल हम दीन भिखारी
अब तो आई शरण तिहारी !
– डॉ० उपासना पाण्डेय