अब तुझको तेरा होना है
ये गैरों की जो है बस्ती, हर बात पे तेरी है हँसती।
इसे क्या मतलब तेरी हस्ती से, इसको प्यारी अपनी मस्ती।
यहाँ सोच सभी की अलग चले, कर गल्ती यहाँ सभी बने भले।
तू किस को जाकर समझाए, तेरी तो अब यहाँ नहीं चले।
यहाँ रंग निराले ही देखे, सब ढँग निराले ही देखे।
एक झूठ पहन कर सभी खड़े, बनते एक दूजे से भी बडे।
क्या ऐसी ही ये दुनिया है? पर क्यूँ ऐसी ये दुनिया है?
क्या झूठ पाप की दुनिया है? बस मतलब की ये दुनिया है?
जहाँ सच का कोई मोल नहीं, जहाँ धर्म का कोई तोल नहीं।
कोई चीज भी है जहाँ झोल नहीं? अब प्यार कभी दो बोल नहीं।
चाहे जितने उपकार तू कर, इनके आगे सब बौना है।
अब आम के पेड नहीं लगते, अब सबको काँटे बोना है।
एक छूत बीमारी है यह भी, धो ले जितना भी धोना है।
बस इसी बात का रोना है, हर एक की हुआ कोरोना है।
अब मोह में फँसकर जतन ना कर, तू किसी का नहीं खिलौना है।
माला टूटे…मोती बिखरे…अब तुझको नहीं पिरोना है।
तेरी नाव भंवर में फँसी हुई, तुझे खुद को नहीं डुबोना है।
अब तुझको तेरा होना है, और खुद को खुद में खोना है।