अब जाग उठो
अब जाग उठो हिन्द देश के जवानों
अब जाग उठो और नया इतिहास लिखो
अश्कों में अश्रु जल नहीं धधकती ज्वाला भरो
ह्रदय में कोमल तार नहीं जोश भरी आग भरो
मधुर संगीत नही पवन वेग सा गान भरो
श्ववासो की तपती माला में विजय का नव राग भरो
देखो आज सम्पूर्ण विश्व पटल पर
नीरवता भरी हुई सकल जहान पर
विषधर भुजंग करता नित प्रहार
वीरों की बलि तो कभी मानवता की चित्कार
रज के कण-कण में जिनकी रवानी
मात्रभूमि के नाम कर गये जो जवानी
स्वर्णिम अक्षरों में वर्णित जिनकी अमर कहानी
आज चलो फिर लिखने नई कहानी
और अधिक मौन रहें मंजूर नहीं है
थक कर बैठ गए क्या मंजिल दूर नहीं है
अम्बर में गूँजेगा इक दिन जयनाद तुम्हारा
धरा पर होगा पुनः वसन्त ऋतु का आगाज
अब जाग उठो हिन्द देश के जवानों
अब जाग उठो और नया इतिहास लिखो