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19 Oct 2024 · 1 min read

अब छोड़ जगत क्षआडंबर को।

अब छोड़ जगत आडंबर को।
तू निहार प्रेरक अंबर को।।
आत्मलीन हो खोज स्वयं ही,
निज स्वरूप सुख अभ्यंकर को।।

— ननकी 19/10/2024

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